Vrindavan Banke Bihari Temple : भारतीय संस्कृति पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। भारतवर्ष में सनातन धर्म में विभिन्न देवी देवताओं की पूजा की जाती है। भक्त अपने भगवान की पूजा बड़े हि श्रद्धा भाव से करता है, क्योंकि उन्हें अपने भगवान में दृढ़ विश्वास होता है कि जब भी मुसीबत में आएंगे तो उनके भगवान उनकी मुसीबत से रक्षा करेंगे।
सनातन धर्म में कई हिंदू देवी देवताओं की पूजा की जाती है। उन्हीं में से एक श्री कृष्ण और राधा रानी है। भगवान श्री कृष्ण सभी के चहते और प्रिय हैं। भगवान श्री कृष्ण के अनेक मंदिर भारतवर्ष में मौजूद हैं। भगवान श्री कृष्ण की ख्याति केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व भर में फैली हुई है। विश्व भर में इस्कॉन टेंपल के नाम से भगवान श्री कृष्ण के कई मंदिर मौजूद हैं। कई विदेशी भक्त भी भगवान श्री कृष्ण की पूजा बड़े श्रद्धा भाव से करते हैं। भारत में श्री कृष्ण और राधा रानी का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे हम बांके बिहारी मंदिर के नाम से जानते हैं।
बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण तथा राधा रानी की मूर्ति मौजूद है। माना जाता है, कि यहां यह मूर्ति स्वयं ही प्रकट हुई थी। इस मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन भी किया जाता है, इनमें से होली का त्यौहार बड़े ही विशिष्ट और धूमधाम से मनाया जाता है। होली के अवसर पर यहां पर दुनिया भर से लाखों भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। होली के उत्सव का आयोजन मंदिर में कई दिनों पूर्व ही प्रारंभ हो जाता है। आइए आज हम जानते हैं बांके बिहारी मंदिर और यहां मनाए जाने वाले होली के त्यौहार के बारे में…
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Vrindavan Banke Bihari Temple : बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन
बांके बिहारी मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित तथा राधा रानी को समर्पित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भारतवर्ष के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले से 13 किलोमीटर दूर वृंदावन नामक शहर में स्थित है। यह मंदिर अत्यंत ही प्राचीन मंदिर है इसलिए मंदिर तक पहुंचने के लिए कई पतली-पतली गलियों से होकर जाना पड़ता है। मंदिर में भगवान श्री कृष्णा तथा राधा रानी के मिली जुली स्वरूप की एक अत्यंत ही आकर्षण मूर्ति है। यह मूर्ति श्यामल रंग की है और इस मूर्ति में भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की छवि दिखाई पड़ती है। मान्यता है कि, यह मूर्ति भगवान श्री कृष्ण के भक्त की प्रार्थना पर स्वयं ही प्रकट हुई थी।
बांके बिहारी मंदिर से कई प्रसिद्ध किवदंतियां भी जुड़ी हुई हैं।मान्यता है कि श्री बांके बिहारी जी की यह मूर्ति उनके प्रसिद्ध भक्त स्वामी हरिदास की प्रार्थना करने पर प्रकट हुई थी। स्वामी हरिदास प्रसिद्ध संगीत सम्राट तानसेन के गुरु थे। स्वामी हरिदास संगीत प्रेमी थे और भगवान श्री कृष्ण के भजन गया करते थे। स्वामी हरिदास ने अपना संपूर्ण जीवन भगवान श्री कृष्ण की भक्ति तथा भजन में व्यतीत किया था।
हरिदास श्री कृष्ण के परम भक्त थे। ऐसी मान्यता है कि हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष के माह में भगवान श्री कृष्ण राधारानी के साथ मूर्ति रूप में इस में प्रकट हुए थे। इस मंदिर में भक्त भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करने तथा उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं। भगवान श्री कृष्ण इस मंदिर में बाल स्वरूप में विद्यमान है। इस कारण वे अपने नटखट स्वभाव के लिए जाने जाते हैं और भक्तों के प्रेम के भूखे रहते हैं। इस मंदिर से कई चमत्कार जुड़े हुए हैं। ऐसी मान्यता भी है, की यदि भक्त अपनी पूर्ण निष्ठा तथा प्रेम भाव से भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
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Banke Bihari Temple history : बांके बिहारी मंदिर का इतिहास
यह मंदिर प्रसिद्ध संगीत सम्राट तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास जी के द्वारा सन् 1860 में बनवाया गया था। कुछ वर्षों बाद सन् 1921 में स्वामी हरिदास के शिष्यों के द्वारा इस मंदिर का पुनः जीर्णोद्धार करवाया गया। ऐसी मान्यता है कि जब भी स्वामी हरिदास भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो जाया करते थे, तब भगवान श्री कृष्ण तथा राधा रानी उन्हें बालस्वरूप में दर्शन दिया करते थे।
एक बार स्वामी हरिदास जी के शिष्यों ने उनसे राधा रानी तथा श्री कृष्ण के दर्शन करवाने के लिए कहा। इस बात पर स्वामी हरिदास जी अगली बार जब श्री कृष्ण तथा राधा रानी की भक्ति में लीन हुए, तब उन्होंने श्री कृष्ण तथा राधा रानी से इस बारे में पूछा। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनसे कहा कि अगर तुम चाहो तो मैं यहीं पर ठहर सकता हूं, तब हरिदास जी ने कहा कि “कान्हा, मैं आपको इस स्वरूप में जैसे चाहे तैसे रख सकता हूं, मगर राधा रानी जी को प्रतिदिन नए-नए वस्त्र तथा आभूषण कैसे पहनाऊंगा, क्योंकि मैं तो एक संत हूं। मेरे पास इतने वस्त्र और आभूषण भी नहीं है।
इस बात पर श्रीकृष्ण जी मुस्कुराए और अंतर्ध्यान हो गए। जब स्वामी हरिदास जी ने अपना ध्यान पूरा किया, तब उन्होंने देखा कि श्री कृष्ण तथा राधा के मिले-जुले स्वरूप की एक भव्य मूर्ति उनके सामने रखी हुई है। जिसे देखकर वह अत्यंत प्रसन्न हुए तथा स्वामी हरिदास और उनके शिष्यों ने उस मूर्ति की स्थापना की, जिसे आज भक्त बांके बिहारी मंदिर में पूजते हैं।
How to celebrate Holi in Vrindavan : कैसे मनाया जाता है होली का त्यौहार
बांके बिहारी मंदिर में होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम तथा हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है। वृंदावन में यह होली का उत्सव लगभग एक महीने तक चलता है। होली के त्यौहार की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से प्रारंभ हो जाती है तथा मंदिरों में गुलाल चंदन आदि से होली खेली जाती है। बांके बिहारी मंदिर में रंग भरी एकादशी के अवसर पर ब्रजमंडल में लाखों भक्त जमकर होली खेलते हैं।
इस दिन बांके बिहारी जी को सफेद पोशाक पहनाई जाती है तथा पूरे सिंहासन पर बिठाया जाता है। इसी दिन से मंदिर में होली खेलने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन भक्त मंदिर में अबीर गुलाल तथा टेशू के फूल के रंगों से होली खेलते हैं। होली के दो दिन पहले ही लगभग 100 किलो टेशू के फूल से रंग बनाए जाते हैं। जिनसे भगवान श्री कृष्ण के साथ होली खेली जाती है। बांके बिहारी मंदिर में होली एकादशी के अवसर से शुरू होकर पूर्णिमा तक मनाई जाती है। यहां की होली देखने लायक होती है।
इस होली के त्यौहार में शामिल होने के लिए देशभर के साथ-साथ विदेश से भी कई भक्त मंदिर में आते हैं। इस दिन मंदिर में बहुत भीड़ रहती है। मंदिर के साथ-साथ पूरा वृंदावन शहर होली के रंग में डूबा रहता है। वृंदावन की तमाम गलियों में अबीर गुलाल उड़ता हुआ नजर आ जाएगा। इस अवसर पर सभी भक्त बड़े ही हर्षों उल्लास के साथ श्री बांके बिहारी जी के मंदिर में होली के त्यौहार का आनंद लेते हैं।
Dharamshala near banke Bihari Temple Vrindavan
बांके बिहारी मंदिर के नजदीक कई धर्मशाला मौजूद है। जहां आपको एक नॉन-एसी शांत वातावरण बड़े हॉल आदि से सुसज्जित धर्मशालाएं मिल जाएंगी, जिनमें से कुछ धर्मशाला निम्न है- जयपुरिया धर्मशाला, सेठ सूरजमल नारायण दिल्ली वाली धर्मशाला, मीणा धर्मशाला, लाल ताराचंद बंसल सेवा सदन, गोकुलधाम धर्मशाला, राम श्याम धर्मशाला, श्री गोविंद प्रिया आश्रम, मानव सेवा संघ, श्री कुंज बिहारी सेवा सदन, राधिका रमण आश्रम, नया रंग जी मंदिर सावित्री सेवा सदन, कृष्ण वाटिका आश्रम कानपुर वाला मंदिर, श्री राम धाम आश्रम आदि।
How to reach banke Bihari Temple, Vrindavan : बांके बिहारी मंदिर कैसे पहुंचे
भारत के किसी भी शहर से आप बांके बिहारी मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए आपको सबसे पहले मथुरा पहुंचना होगा। मथुरा पहुंचने के लिए आप रेल या बस के द्वारा आसानी से आ सकते हैं। यदि आप हवाई मार्ग से आते हैं तो सबसे नजदीक हवाई अड्डा आगरा हवाई अड्डा पड़ेगा, जो कि मथुरा जंक्शन से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। मथुरा से बांके बिहारी मंदिर जाने के लिए आप कोई गाड़ी या टैक्सी कर सकते हैं। बांके बिहारी मंदिर, मथुरा से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से आप गाड़ी या टैक्सी करके आसानी से 20 से 30 मिनट में बांके बिहारी मंदिर पहुंच जाएंगे।