Shardiya Navratri 2024 : नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित नौ दिनों का पर्व होता है। इस पर्व पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। हर एक दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित होता है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। प्रतिवर्ष नवरात्रि मुख्य रूप से दो बार मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार एक बार चैत्र मास में मनाई जाती है तथा दूसरी बार अश्विन माह में मनाई जाती है, जिसे हम “शारदीय नवरात्रि” भी कहते हैं। आइए हम जानते हैं, मां दुर्गा के किन नौ स्वरूपों की पूजा इन नौ दिनों तक की जाती है?
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प्रथम शैलपुत्री
मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। मां शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में हुआ था, इसलिए इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा। इनका वाहन वृषभ है तथा मां ‘शैलपुत्री’ के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित हैं। नवरात्रि के पहले दिन माता ‘शैलपुत्री’ की पूजा अर्चना की जाती है।
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द्वितीय ब्रह्मचारिणी
मां दुर्गा का द्वितीय स्वरूप ‘ब्रह्मचारिणी’ के नाम से जाना जाता है। ‘ब्रह्मचारिणी’ अर्थात् ताप का आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यंत भव्य है। ब्रह्मचारिणी माता के दाहिने हाथ में जप की माला तथा बाएं हाथ में कमंडल है। यह ‘ब्रह्मचारिणी’ नाम माता को अत्यंत दुष्कर तपस्या करने के कारण मिला था, जिसमें उन्होंने केवल फल-फूल खाकर खुले आसमान के नीचे वर्षा-धूप आदि भयानक कष्ट सहकर तपस्या की थी। नवरात्रि के द्वितीय दिन माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है।
तृतीय चंद्रघंटा
मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप ‘चंद्रघंटा’ के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटी की आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। माता चंद्रघंटा के शरीर का रंग सोने के समान चमकीला है। इनके 10 हाथ हैं तथा दसों हाथों में खड़ग, शस्त्र आदि विभूषित हैं। मां चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्त पराक्रमी और निर्भय हो जाता है।
चतुर्थ कूष्मांडा
मां दुर्गा का चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा के स्वरूप की पूजा की जाती है। माता कुष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हे अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। उनके सात भुजा में कमंडल, धनुष-बाण, कमल पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, चक्र तथा गधा है और उनकी आठवें हाथ में सभी सिद्धियों को देने वाली जपमाला है। माता कुष्मांडा का वाहन सिंह है। माता कुष्मांडा की आराधना करने से भक्त को लंबी आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
पंचम स्कंधमाता
मां दुर्गा का पंचम स्वरूप ‘स्कंदमाता’ के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान ‘स्कंद कुमार’ यानी ‘कार्तिकेय’ की माता होने के कारण ‘स्कंदमाता’ भी कहा जाता है। स्कंदमाता की गोद में भगवान कार्तिकेय बाल स्वरूप में विराजमान है। स्कंदमाता की उपासना करने से मोक्ष का द्वारा स्वतः ही सुलभ हो जाता है।
षष्ठम कात्यायनी
मां दुर्गा का छठवां स्वरूप ‘कात्यायनी’ की रूप में जाना जाता है। नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा अर्चना की जाती है। एक प्रसिद्ध महर्षि ‘कात्यायन’ ने मां भगवती की कई वर्षों तक कठिन तपस्या की। इससे मां भगवती प्रसन्न हुईं और उन्हें वर मांगने के लिए कहा। तो कात्यायन ऋषि ने उन्हें अपनी पुत्री के रूप में जन्म लेने के लिए वर मांगा। मां ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की। इसी कारण मां के इस स्वरूप को कात्यायनी माता के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा करने उपासक शोक, संताप आदि से मुक्त हो जाता है।
सप्तम कालरात्रि
मां दुर्गा के सप्तम स्वरूप को ‘कालरात्रि’ के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है। मां कालरात्रि को मां काली भी कहते हैं। उनके शरीर का रंग एकदम अंधकार के समान काला होता है। इनके सिर के केश बिखरे हुए होते हैं तथा गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। माता के तीन नेत्र हैं। माता कालरात्रि का वाहन गधा है और इनका स्वरूप अत्यंत ही भयानक है, लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली हैं। इसलिए इन्हें शुभदात्री भी कहते हैं। इनकी उपासना से भक्तों के पापों और विघ्नों का नाश हो जाता है।
अष्टम महागौरी
मां दुर्गा के अष्टम स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। माता महागौरी के समस्त वस्त्र व आभूषण सभी श्वेत रंग के हैं। इनकी चार भुजाएं हैं। माता महागौरी का वाहन वृषभ है। महागौरी की उपासना करने से उपासक भविष्य में पाप और दुखों आदि से मुक्त हो जाता है।
नवम सिद्धिदात्री
मां दुर्गा के नवें स्वरूप को ‘सिद्धिदात्री’ के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि के नवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों और उपासकों को सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं। माता के चरणों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर उपासना करनी चाहिए। मां भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन से हमें संसार की असरता का बोध कराते हुए वास्तविक परमशांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाता है।
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