महाशिवरात्रि भारतवर्ष में मनाया जाने वाला हिंदुओं का एक विशेष त्यौहार है। महाशिवरात्रि का पर्व पूरे भारत में अत्यंत ही हर्षोल्लास तथा धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर सभी भक्तगण मंदिरों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं तथा इस अवसर पर सभी मंदिरों को फूल माला तथा प्रकाश की रंगीन झालरों से सजाया जाता है। इस पर्व का आयोजन भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों के मंदिरों में भी बड़ी धूमधाम से होता है। यहां पर कई पूजा-अनुष्ठान का आयोजन भी होता है। महाशिवरात्रि का पर्व संपूर्ण भारतवर्ष के साथ-साथ विदेशों में भी मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का यह त्यौहार कब और क्यों मनाया जाता है? आज हम विस्तार से जानेंगे।
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महाशिवरात्रि
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महाशिवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। महाशिवरात्रि का त्यौहार भगवान शिव तथा माता पार्वती को समर्पित है। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा होती है। इस दिन मंदिरों में साज-सज्जा की जाती है तथा कई अनुष्ठानों का आयोजन भी किया जाता है। इस दिन भगवान शिव के भक्तगण उपवास भी रहते हैं तथा प्रातः काल मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं। महा शिवरात्रि का पावन पर्व भारत के साथ-साथ संपूर्ण विश्व में भी मनाया जाता है। इस त्यौहार को ‘शिव की महान रात्रि’ कहा जाता है।
महाशिवरात्रि कब मनाई जाती है
महा शिवरात्रि का त्यौहार वर्ष में केवल एक बार मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान शिव तथा माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव ने अपने वैराग्य को त्याग कर माता पार्वती के संग विवाह किया था और गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया। महा शिवरात्रि वर्ष में एक बार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है
महाशिवरात्रि का अर्थ है- ‘भगवान शिव की महान रात्रि’। इस त्यौहार का भारतवर्ष में धार्मिक तथा आध्यात्मिक महत्व है। यह रात्रि वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण रात्री होती है। इस दिन भक्त आध्यात्मिकता की चरम सीमा को प्राप्त कर सकता है। वर्ष भर में यह एक ऐसा दिन है जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक पहुंचाने में मदद करती है।
इस समय का उपयोग करने के लिए इस उत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जो पूरी रात चलता है। यह पर्व मनुष्य को स्थिरता प्रदान करता है। मनुष्य के भीतर की सारी गतिविधियां शांत हो जाती हैं और वह पूरी तरह से स्थिर हो जाता है। इस दिन पूजा-पाठ, अनुष्ठान करने से मनुष्य को आंतरिक सुख की अनुभूति होती है।
क्यों खास है महाशिवरात्रि
इस रात्रि को पृथ्वी ग्रह के उत्तरी गोलार्ध की दशा कुछ इस प्रकार होती है कि मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से ही ऊर्जा ऊपर की ओर बढ़ती जाती है। यह एक ऐसा दिन होता है जब प्रकृति मनुष्य को उसकी आध्यात्मिक शिखर की ओर धकेलती है। इस ऊर्जा का उचित प्रयोग करने से मनुष्य अपने मूल मकसद तथा सिद्धांतों को लेकर निश्चित हो जाता है तथा अपनी ऊर्जा का सदुपयोग कर पता है।
आध्यात्मिक रूप से भी महा शिवरात्रि का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। योग परंपरा के अनुसार भगवान शिव की पूजा ईश्वर के रूप में नहीं बल्कि आदि गुरु के रूप में की जाती है, क्योंकि भगवान शिव को प्रथम गुरु माना जाता है जिनसे ज्ञान की उत्पत्ति हुई थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार योग परंपरा में इस दिन तपस्वी तथा योगी के समक्ष कई संभावनाएं प्रस्तुत होती हैं। आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी कई अवस्थाओं से गुजरने के बाद आज के दिन एक ऐसे बिंदु पर पहुंचा जा सकता है जहां सिद्ध होकर हर चीज जिसे आप जीवन में किसी रूप में जानते हैं, वह सिर्फ ऊर्जा है जो स्वयं को लाखों-करोड़ों रूपों में व्यक्त करती है।