Mahashivratri 2024 : महाशिवरात्रि का पर्व पूरे भारतवर्ष में बड़े ही हर्षोल्लास तथा धूमधाम से मनाया जाता है। भगवान शिव तथा माता पार्वती को समर्पित यह त्यौहार विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस उत्सव पर प्रत्येक हिंदू भगवान शिव तथा माता पार्वती की आराधना करता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रत्येक बड़े व छोटे शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक तथा पूजा-अर्चना की जाती है इस दिन भक्त भगवान शिव की स्तुति तथा महामृत्युंजय पाठ भी करते हैं। इस उत्सव पर कई भक्त उपवास भी करते हैं।
पूरे भारतवर्ष में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं, जहां महाशिवरात्रि का आयोजन अत्यंत ही खास तरीके से किया जाता है तथा इस अवसर पर इन मंदिरों में दूर-दूर से भक्त दर्शन करने के लिए तथा उत्सव में भाग लेने के लिए आते हैं। इस दिन कई मंदिरों में भंडारा का आयोजन भी किया जाता है। यहां हम कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बात करेंगे जहां महाशिवरात्रि को अत्यंत ही खास तरीके से मनाया जाता है।
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Mahashivratri 2024 mei kab hai
महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में महाशिवरात्रि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 की रात्रि 9:57 से प्रारंभ होकर 9 मार्च 2024 की शाम 6:17 तक रहेगी।
ईशा योग केंद्र, तमिलनाडु
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ईशा योग केंद्र भारत के तमिलनाडु राज्य में कोयंबटूर में स्थित है। यह ईशा फाउंडेशन के अंतर्गत आता है। इसकी स्थापना सन् 1992 में जग्गी वासुदेव द्वारा की गई थी। यह एक गैर लाभकारी संगठन है।
ईशा योग केंद्र में भगवान शिव की एक 112 फीट की विशाल स्टील की मूर्ति है, जिसे जग्गी वासुदेव अर्थात् सद्गुरु के द्वारा बनवाया गया था। महाशिवरात्रि के उत्सव पर यहां देश-विदेश से भक्तगण आते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां नृत्य, संगीत, ध्यान, साधना, भजन-कीर्तन आदि का आयोजन होता है और इस उत्सव का आयोजन पूरी रात होता है। यहां सभी लोग सद्गुरु के साथ मिलकर आनंदमय होकर भजन गाते हैं तथा भगवान शिव की भक्ति में रम जाते हैं। यहां का भक्तिमय वातावरण देखकर मनुष्य अपने सारे दुख, दर्द तथा पीड़ा को भूलकर भगवान शिव की भक्ति में लीन हो जाता है।
सोमनाथ मंदिर, गुजरात
महाशिवरात्रि के अवसर पर सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारतवर्ष के गुजरात राज्य के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र किनारे वेरावल बंदरगाह से थोड़ी दूरी पर स्थित है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां मंदिर को फूलों तथा झालरों से सजाया जाता है।
महाशिवरात्रि के अवसर पर सोमनाथ मंदिर में भगवान शिव का महाअभिषेक किया जाता है। भगवान शिव का अभिषेक मंदिर के पुजारी दूध, शहद, चीनी, घी, जल इत्यादि से करते हैं। चारों प्रहर की पूजा विशेष रूप से की जाती है। महाआरती, विशेष प्रसाद तथा संस्कृत कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इन आयोजनों को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों भक्तगण महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां आते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन, मध्य प्रदेश
महाकालेश्वर मंदिर भारतवर्ष के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन में स्थित है। इस मंदिर में भी भगवान शिव के 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ विद्यमान है। महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का आयोजन बड़ी ही धूमधाम से किया जाता है। यहां पर महाशिवरात्रि की तैयारी लगभग एक हफ्ता पहले ही शुरू हो जाती है। महाशिवरात्रि के पर्व पर प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती का आयोजन नहीं होता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में बहुत अधिक भीड़ हो जाती है। इस दिन महाकाल बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाता है। भक्तों को बाबा के दर्शन करने के लिए लगभग 4 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। इस दिन यहां कई संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।
भूतनाथ मंदिर मंडी, हिमाचल प्रदेश
भूतनाथ मंदिर भारतवर्ष के हिमाचल प्रदेश राज्य के मंडी जिले में स्थित है। यह मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में महाशिवरात्रि के पर्व पर एक अंतरराष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जिसे ‘अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव’ के नाम से जानते हैं। यह एक काफी लोकप्रिय आयोजन है, जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल होने के लिए पहुंचते हैं। यह आयोजन लगभग 7 दिन तक चलता है। यहां मेले का आयोजन भी होता है, जिसमें लोग खरीददारी भी करते हैं।
पहाड़ों की वादियों में मौजूद यह शिव मंदिर अपने आसपास के प्राकृतिक वातावरण तथा मनोरम सुंदरता के लिए जाना जाता है। इस महोत्सव के आयोजन पर 81 मंदिरों के देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाता है। मंडी शहर में कई मंदिर मौजूद हैं, इसलिए मंडी को पहाड़ों की वाराणसी भी कहा जाता है।
भावनाथ तलेटी जूनागढ़, गुजरात
भावनाथ तलेटी मंदिर भारतवर्ष के गुजरात राज्य के जूनागढ़ में स्थित गिरनार के पहाड़ों की तलहटी में विद्यमान है। माना जाता है कि जब भगवान शिव और माता पार्वती गिरनार के पर्वतों की यात्रा कर रहे थे, तब इस जगह पर भगवान शिव के दिव्य वस्त्र मृगी कुंड में गिर गया था। तभी से यह स्थल अत्यंत शुभ स्थल बन गया। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर यहां पर एक जुलूस निकलता है, जिसमें नागा बाबा शामिल होते हैं और यह जुलूस अत्यंत अद्भुत होता है।
इस जुलूस में शामिल होने से पहले नागा बाबा इस पवित्र मृगी कुंड में स्नान करते हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।। यह मेला लगभग 5 दिन तक चलता है तथा महाशिवरात्रि के दिन समाप्त होता है।