Kunj Bihari ji Ki Aarti : भगवान कृष्ण बचपन में अत्यंत चंचल और सुंदर थे। भगवान कृष्ण की बाल लीलाएं सबका मन मोह लेती थी। भगवान कृष्ण दयालु तथा दयावान है। भगवान कृष्ण जी की आरती करने से मन शांत रहता है और आध्यात्मिक की प्राप्ति होती है।
कुंज बिहारी जी की आरती : Kunj Bihari ji Ki Aarti
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ (२)
गले में बैजंती माला,बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मृदंग,
ग्वालिनी संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ (२)