उज्जैन का ‘Kaal Bhairav Mandir’, जहां चढ़ाया जाता है मदिरा का भोग

Kaal Bhairav Mandir

Kaal Bhairav Mandir Ujjain : उज्जैन नगरी को बाबा महाकाल की नगरी कहा जाता है। यहां पर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से तीसरा ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के रूप में स्थित है। इस मंदिर के अतिरिक्त उज्जैन में और भी कई मंदिर हैं जिनमें से एक Kaal Bhairav Mandir है।

बाबा काल भैरव को भगवान शिव का रुद्र अवतार कहते हैं। Kaal Bhairav Mandir बहुत ही प्राचीन है। Kaal Bhairav Mandir राजा भद्र सेन द्वारा क्षिप्रा नदी के तट पर बनवाया गया था। Kaal Bhairav Temple के प्रसिद्ध होने का मुख्य कारण यह है भी है कि बाबा काल भैरव को प्रसाद के रूप में मदिरा का भोग लगाया जाता है। आईए जानते हैं उज्जैन के Kaal Bhairav Temple से जुड़े रहस्यों के बारे में…

काल भैरव मंदिर उज्जैन | Kaal Bhairav Mandir Ujjain

बाबा काल भैरव भगवान शिव के क्रोध रूप के अवतार माने जाते हैं। बाबा काल भैरव का मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु भगवान काल भैरव के दर्शन करने आते हैं। उज्जैन के बाबा काल भैरव अष्ट भैरव में मुख्य हैं। बाबा काल भैरव को कोतवाल भी कहा जाता है क्योंकि काल भैरव के मंदिर भगवान शिव के सभी 12 ज्योतिर्लिंगो के पास भी हैं। भैरव का अर्थ है ‘भय को हरना’ अर्थात् बाबा काल भैरव के दर्शन करने से भक्त भय मुक्त हो जाता है।

Kaal Bhairav Mandir

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बाबा काल भैरव के इस मंदिर का इतिहास भी रोमांचक है। कहा जाता है कि भगवान काल भैरव ने जो पगड़ी पहनी हुई है वह ग्वालियर के राजा सिंधिया की है। बाबा काल भैरव की पूजा शैव संप्रदाय का एक हिस्सा है जिसमें मुख्य रूप से कापालिक और अघोरा संप्रदाय पूजा करते हैं। भगवान काल भैरव मंदिर में भोग के रूप में शराब चढ़ाने की अनूठी परंपरा को लेकर मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। भगवान काल भैरव को तंत्र-मंत्र का स्वामी भी कहा जाता है तथा इन्हें खेत्रपाल के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि भगवान काल भैरव को आने वाले समय का ज्ञान होता है और वह इस पर नजर रखते हैं।

काल भैरव को यात्रियों का रक्षक भी कहा जाता है। मान्यता है कि यात्रियों को यात्रा प्रारंभ करने से पहले बाबा काल भैरव का नाम लेना चाहिए और कुत्तों को खाना खिलाना चाहिए, क्योंकि कुत्ता भगवान काल भैरव का वाहन माना जाता है इसलिए यात्रा से पहले कुत्ते को खाना खिलाना शुभ माना जाता है। बाबा काल भैरव उज्जैन नगर के रक्षक भी है। ऐसी मान्यता है कि उज्जैन के बाबा महाकालेश्वर के दर्शन के पश्चात् बाबा काल भैरव का दर्शन करना अनिवार्य है।

काल भैरव मंदिर की पौराणिक मान्यता | Mythological belief of Kaal Bhairav ​​Temple

भगवान काल भैरव को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। सभी हिंदू देवी देवताओं के उत्पन्न होने की पौराणिक मान्यताएं होती हैं। ठीक उसी प्रकार बाबा काल भैरव की भगवान शिव से उत्पन्न होने की पौराणिक मान्यता है। यह मान्यता भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा के मध्य दिव्य लीलाओं के इर्द गिर्द घूमती है तथा विनम्रता, भक्ति और काल भैरव के रूप में भगवान शिव की सर्वोच्चता और महत्वता को दर्शाती है।

इस पौराणिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के मध्य सर्वोच्चता और वर्चस्व को लेकर भयंकर मतभेद उत्पन्न हुए और दोनों देवताओं के बीच स्वयं को श्रेष्ठ बताने को लेकर तीखी बहस हो गई। भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के मध्य अहंकार रूपी टकराव को देखकर विनाशक और सर्वोच्च भगवान शिव ने हस्तक्षेप करने का फैसला किया और उन्होंने भगवान ब्रह्मा में विनम्रता और भक्ति के महत्व को स्थापित करने का फैसला किया।

Shiv Photo

भगवान ब्रह्मा ने स्वयं को सर्वोच्च स्थापित करने के लिए उज्जैन की पवित्र भूमि पर एक भव्य यज्ञ किया। भगवान शिव ने ब्रह्मा जी की भक्ति और विनम्रता की परीक्षा लेने के उद्देश्य से भगवान काल भैरव को प्रकट किया। काल भैरव एक काले क्रूर कुत्ते के रूप में भगवान ब्रह्मा के यज्ञ के पास पहुंचे। उनकी उपस्थिति को भगवान ब्रह्मा ने नजरअंदाज कर दिया। फिर भी उस काले कुत्ते ने, जो कि स्वयं काल भैरव थे, भगवान ब्रह्मा का ध्यान आकर्षित किया। भगवान ब्रह्मा ने अपने अहंकारवश फिर से कुत्ते को नजर अंदाज कर दिया और भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति को पहचानने में असमर्थ रहे।

भगवान ब्रह्मा के इस अहंकार और अज्ञानता का उन्मूलन करने के लिए काले कुत्ते ने एक भयानक और विस्मयकारी भगवान काल भैरव का रूप धारण कर लिया और भगवान ब्रह्मा के पांचो सिरों में से अहंकार रूपी एक सिर को काट दिया। अपनी गलती का एहसास होने पर भगवान ब्रह्मा ने काल भैरव से क्षमा और मुक्ति मांगी। उनके पश्चाताप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने भगवान ब्रह्मा को मोक्ष और क्षमा प्रदान की। तभी से भगवान शिव के अवतार काल भैरव का मंदिर उज्जैन में स्थित है।

काल भैरव को क्यों लगता है मदिरा का भोग

Kaal Bhairav Mandir

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बाबा काल भैरव को भोग के रूप में मदिरा यानी शराब चढ़ाने का प्रचलन सदियों से चला आ रहा है। यहां भक्त मंदिर के बाहर दुकानों से पूजा की टोकरी में फूल, नारियल और शराब लेते हैं। प्रतिदिन हजारों भक्त बाबा काल भैरव को प्रसाद के रूप में मदिरा का भोग लगाते हैं। पुजारी एक पात्र में मदिरा को उड़ेलता है और बाबा काल भैरव के मुंह के पास ले जाता है। जैसे ही प्याला मुंह के पास लाया जाता है वैसे ही धीरे-धीरे मदिरा गायब हो जाती है अर्थात बाबा काल भैरव सारी मदिरा का पान कर लेते हैं।

बाबा काल भैरव के मंदिर में रोजाना लगभग 2000 बोतल मदिरा का भोग लगाया जाता है। वास्तव में भक्त बाबा काल भैरव के मंदिर में मदिरा चढ़ाकर अपनी बुराइयों का त्याग करता है और संकल्प तथा शक्ति का प्रतीक भी मानता है। अनेक मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव को मदिरा चढ़ाने से जीवन में आ रही सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

काल भैरव मंदिर का रहस्य | Mystery of Kaal Bhairav ​​Temple

Kaal Bhairav Mandir

बाबा काल भैरव का यह मंदिर एक रहस्यमई मंदिर है। यहां भक्तगण बाबा काल भैरव को मदिरा का भोग लगाते हैं और भगवान काल भैरव इसे स्वीकार भी करते हैं। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर की सबसे रहस्यमई बात यह है कि यह मंदिर हिंदू शमशान घाट के बीच में है।

बाबा काल भैरव को मंदिर ओखलेश्वर जागृत शमशान के पास भैरव पर्वत नामक स्थान पर है। कई वैज्ञानिक और पुरातत्वविद कई प्रयासों की बावजूद भी यह पता ना लगा सके की मंदिर में मदिरा आखिर जाती कहां है, जबकि मूर्ति के मुंह में कोई खुला स्थान भी नहीं दिखता है। यह आज तक अनसुलझा रहस्य बना हुआ है। इसलिए भक्तों का मानना है कि भगवान काल भैरव स्वयं भोग स्वीकार करते हैं।

काल भैरव की पगड़ी पहनने का रहस्य | The secret of wearing Kaal Bhairav’s turban

बाबा काल भैरव की प्रतिमा पर एक पगड़ी है। बाबा काल भैरव की पगड़ी पहनने का भी एक रहस्य है। कहा जाता है कि बहुत समय पहले यहां के राजा महादजी सिंधिया ने शत्रुओं से अपनी रक्षा के लिए बाबा काल भैरव से प्रार्थना की और उनसे शरण मांगी। प्रार्थना करते वक्त राजा सिंधिया की पगड़ी गिर गई थी इसलिए उन्होंने अपनी पगड़ी काल भैरव को अर्पित कर दी और अपनी जीत के लिए प्रार्थना की। तभी से सिंधिया राजपरिवार की ओर से बाबा काल भैरव पगड़ी पहनते हैं और उस पगड़ी का आज भी बहुत महत्व है।

Frequently Asked Question

काल भैरव किन के पुत्र हैं?

भगवान काल भैरव का जन्म भगवान शिव के क्रोध के परिणाम स्वरुप हुआ था, जो उनके अत्यंत भयावह और विनाशकारी रूपों में से एक है।

काल भैरव को शराब क्यों चढ़ाई जाती है?

भक्त बाबा काल भैरव के मंदिर में मदिरा चढ़ाकर अपनी बुराइयों का त्याग करता है और संकल्प तथा शक्ति का प्रतीक भी मानता है। अनेक मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव को मदिरा चढ़ाने से जीवन में आ रही सभी प्रकार की परेशानियां दूर हो जाती हैं।

काल भैरव को प्रसाद में क्या चढ़ाया जाता है?

भगवान काल भैरव को प्रसाद के रूप में मदिरा का भोग लगाया जाता है।

उज्जैन महाकालेश्वर से काल भैरव कितनी दूरी पर है?

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से काल भैरव मंदिर लगभग 5 किलोमीटर दूर है।

काल भैरव का जन्म क्यों हुआ?

भगवान शिव ने भगवान ब्रह्मा के अहंकार को समाप्त करने के लिए काल भैरव को उत्पन्न किया था।

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