300 साल पुराना अयोध्या का हनुमान गढ़ी मंदिर; आखिर क्यों एक मुगल शासक ने बनवाया ?

Hanuman Garhi

अयोध्या की सरयू नदी के दाहिने तट पर स्थित ऊंचे टीले पर हनुमान गढ़ी हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर है। कहते हैं यहां पर हनुमान जी सदैव साक्षात् रूप में विराजमान रहते हैं। जिस स्थान पर हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर बना हुआ है, वह स्थान स्वयं भगवान श्री रामजी ने हनुमान जी को दिया था। तभी से वह हनुमान जी का घर भी कहलाता है और कहा जाता है कि जो भी भक्त श्री हनुमान जी को लाल चोला पहनाता है वह सारे दोषों से मुक्त हो जाता है। मंदिर का निर्माण एक अयोध्या के नबाव ने करवाया था। आईए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य, आखिर क्यों एक नबाव ने बनवाया यह हनुमान गढ़ी मंदिर…

हनुमान गढ़ी मंदिर, अयोध्या

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हनुमान गढ़ी मंदिर को अयोध्या का सबसे प्राचीन हनुमान मंदिर माना जाता है। हनुमान गढ़ी मंदिर की स्थापना लगभग 300 वर्ष पूर्व बाबा अभयराम जी ने की थी। कहते हैं जब भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे तब भगवान श्रीराम ने अपने प्रिय व अनन्य भक्त श्री हनुमान जी को अयोध्या में रहने के लिए एक स्थान दिया था। तभी से भक्त श्री हनुमान जी यहां पर एक गुफा में निवास करने लगे थे, आज उसी स्थान को हनुमान गढ़ी मंदिर कहा जाता है।

भगवान श्रीराम के आदेश के अनुसार श्री हनुमान जी आज भी राम जन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते हैं। हनुमान गढ़ी मंदिर में प्रभु श्रीराम की लंका पर विजय के कुछ साक्ष्य भी यहां मौजूद हैं। हनुमान गढ़ी में एक अद्भुत हनुमान चिन्ह भी है जो लगभग 4 मीटर चौड़ा और 8 मीटर लंबा ध्वज है। भगवान श्री हनुमान प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त हैं, इसी कारण प्रभु श्रीराम के आदेश का पालन करने के लिए श्री हनुमान जी आज भी यहां निवास करते हैं।

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हनुमान गढ़ी मुख्य मंदिर में माता अंजनी की मूर्ति है और माता अंजनी की गोद में प्रभु श्री हनुमान जी बाल रूप में विराजमान हैं। हनुमान गढ़ी मंदिर अयोध्या के मध्य में स्थित है और हनुमान गढ़ी मंदिर तक पहुंचाने के लिए लगभग 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं और कहा जाता है कि यही सीढ़ियां भक्त को बजरंगबली जी के माध्यम से श्री रामचंद्र जी की शरण में ले जाती हैं।  विशाल हनुमान गढ़ी मंदिर तथा मंदिर का आवासीय परिसर लगभग 52 बीघे में फैला हुआ है तथा भारत के विभिन्न स्थानों नासिक, जगन्नाथपुरी, उज्जैन, वृंदावन समेत कई शहरों में हनुमान गढ़ी मंदिर की संपत्तियां, बैठक व अखाड़े हैं।

क्यों एक मुगल शासक ने बनवाया हनुमान गढ़ी मंदिर

हनुमानगढ़ी मंदिर के निर्माण को लेकर भी एक अत्यंत रोचक कहानी है। लगभग 17वीं शताब्दी में हनुमानगढ़ी मंदिर एक टीले के रूप में स्थित था। श्री हनुमान जी की एक छोटी सी मूर्ति एक पेड़ के नीचे यहां रखी थी, जिसकी पूजा होती थी। यह मूर्ति वर्तमान समय में श्री हनुमान जी की बड़ी मूर्ति के आगे रखी हुई है, जो फूलों से ढकी रहती है। कहा जाता है कि एक बार नवाब सुजाउद्दौला का शहजादा बहुत बीमार पड़ गया था। नवाब ने कई हकीमों व चिकित्सकों से अपने शहजादे का इलाज करवाया परंतु नवाब के शहजादे की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ।

शहजादे की तबीयत इतनी खराब हो चुकी थी कि देखने आए सभी हकीमों व चिकित्सकों ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे। नवाब सुजाउद्दौला के मंत्रिमंडल में कई हिंदू मंत्री भी थे। नवाब ने इन्हीं लोगों से बाबा अभयराम जी और उनकी हनुमत कृपा के बारे में सुना था। नवाब ने अपने पुत्र को बचाने के लिए बाबा अभयराम जी से विनती की। तब बाबा अभयराम जी नबाव के साथ उनके महल गए और उनके बेटे को देखा। कहते हैं बाबा अभयराम जी ने कुछ मंत्र पढ़कर शहजादे के ऊपर प्रभु श्री हनुमान जी के चरणामृत का जल छिड़का। कुछ ही देर पश्चात नवाब का पुत्र उठकर बैठ गया और कुछ ही दिनों में पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया।

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नवाब यह चमत्कार देखकर अत्यंत प्रसन्न हुआ और बाबा अभयराम जी से कुछ मांग लेने का अनुरोध करने लगा। बाबा अभयराम जी ने कुछ भी लेने से मना कर दिया। इसके पश्चात् भी नवाब ने कई बार उनसे अनुनय-विनय किया। तब बाबा अभयराम जी ने नवाब से कहा कि आपका पुत्र श्री हनुमान जी के कारण स्वस्थ हुआ है तो यदि आपकी इच्छा है तो हनुमान गढ़ी का निर्माण करवा दीजिए, तब नवाब ने हनुमान गढ़ी के लिए लगभग 52 बीघा जमीन देने का निर्णय किया और श्री हनुमान जी का प्रसिद्ध मंदिर हनुमानगढ़ी का निर्माण करवाया।

क्यों रामलला के दर्शन से पहले हनुमान गढ़ी के दर्शन किए जाते हैं ?

श्री हनुमान जी को भगवान श्रीराम जी का अनन्य भक्त कहा जाता है। श्री हनुमान जी का भगवान राम के प्रति भक्ति भाव और सेवा भाव अद्भुत है, जो रामायण महाकाव्य में दर्शाया गया है। हनुमानगढ़ी मंदिर अयोध्या में बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर हैं और भगवान श्री राम के दर्शन के पूर्व हनुमान गढ़ी के दर्शन करने की मान्यता है तथा श्री हनुमान जी की भक्ति और पूजा करने का विशेष महत्व है।

मान्यता है कि श्री रामचंद्र जी ने श्री हनुमान जी को हनुमानगढ़ी का स्थान दिया था। श्री हनुमान जी ने श्री रामचंद्र जी से उनके साथ ठहरने का आग्रह किया था तब श्री रामचंद्र जी ने हनुमान जी से कहा था कि जो भी भक्त मेरे दर्शन करने के लिए आएंगे, वह सर्वप्रथम सरयू नदी में स्नान करके तुम्हारा दर्शन करेंगे तत्पश्चात् मेरे दर्शन करेंगे और तब ही भक्तों को मेरे दर्शन का पूर्ण फल मिलेगा। भगवान श्री रामचंद्र की यह बात सुनकर श्री हनुमान जी भाव विभोर हो गए और उनके चरणों में नतमस्तक हो गए क्योंकि श्री रामचंद्र जी ने अपने अनन्य भक्त श्री हनुमान को अपने से भी ऊंची पदवी दे दी थी।

इसके पश्चात से ही श्री रामचंद्र जी के दर्शन करने से पूर्व हनुमानगढ़ी मंदिर में श्री हनुमान जी के दर्शन किए जाते हैं। जब श्रीराम सरयू नदी में समाधि के लिए जा रहे थे तब श्री हनुमान जी ने भी उनके साथ चलने की जिद की तब श्री रामचंद्र जी ने हनुमान जी को अयोध्या की कार्यभार संभालने और यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने का आदेश दिया। तभी से श्री हनुमान जी हनुमानगढ़ी मंदिर में विराजमान हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न…

हनुमान गढ़ी  मंदिर क्यों प्रसिद्ध है ?

जब श्री रामचंद्र जी लंका को जीत कर अयोध्या लौटे थे तो उन्होंने अपने अनन्य भक्त श्री हनुमान जी को अपने साथ रहने के लिए अयोध्या में एक स्थान दिया था, कहा जाता है यह वही स्थान है।

हनुमान गढ़ी मंदिर किसने बनवाया था ?

हनुमानगढ़ी मंदिर महंत बाबा अभयराम जी ने बनवाया था।

हनुमान गढ़ी मंदिर कहां है ?

हनुमान गढ़ी मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या नगर में है।

हनुमान जी के गुरु कौन थे ?

हनुमान जी के गुरु भगवान सूर्य देव थे।

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