Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र में इतने धूमधाम से क्यों मनाया जाता है ? क्या है इसके पीछे का कारण ?

Ganesh chaturthi : भारत एक संस्कृति प्रधान देश है। संपूर्ण विश्व में भारत की पहचान एक संस्कृति प्रधान देश के रूप में है और यहां की संस्कृति पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करती है। भारत में हिंदू संस्कृति के अनुसार कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है और यहां त्योहारों को बड़ी धूमधाम से मनाने की प्रथा है।

इन्हीं उत्सवों में से एक प्रमुख उत्सव “गणेश चतुर्थी” को भी भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है; विशेषकर महाराष्ट्र राज्य में गणेश चतुर्थी का उत्सव अत्यंत ही धूमधाम से मनाया जाता है। आज हम जानेंगे की गणेश उत्सव का प्रारंभ कब और कहां से हुआ था एवं इसको प्रारंभ करने के पीछे का क्या कारण था? 

Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी 2024

Ganesh Chaturthi

गणेश चतुर्थी भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव की उपलक्ष में मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री गणेश का जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। गणेश चतुर्थी का उत्सव 10 दिनों तक चलने वाला एक भव्य उत्सव है।

इस उत्सव में सभी लोग भगवान श्री गणेश की मूर्ति घर में स्थापित करते हैं तथा नौ दिनों तक विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है और दसवें दिन श्री गणेश जी की मूर्ति का विधि विधान से विसर्जन कर दिया जाता है। इस वर्ष आप बप्पा को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को अर्थात् 7 सितंबर को अपने घर ला सकते हैं तथा बप्पा की विदाई अनंत चतुर्दशी अर्थात् 16 सितंबर को की जाएगी।

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गणेश चतुर्थी का महत्व

भगवान श्री गणेश देवों के देव महादेव तथा माता पार्वती के पुत्र हैं। श्री गणेश जी को महादेव और माता पार्वती के द्वारा प्रथम पूज्य होने का वरदान मिला था। इस कारण समस्त संसार में किसी भी शुभ काम के प्रारंभ से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की जाती है।

भगवान श्री गणेश रिद्धि एवं सिद्धि के स्वामी हैं और इन्हें सौभाग्य, समृद्धि एवं ज्ञान का देवता भी कहा जाता है। श्री गणेश जी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। भगवान श्री गणेश अपने भक्तों के दुखों तथा पीड़ा को दूर करते हैं। कई लोग गणेश चतुर्थी के अवसर पर व्रत भी रखते हैं। इस दिन व्रत रखने से जीवन में सुख-समृद्धि तथा भगवान श्री गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गणेश चतुर्थी का उत्सव क्यों मनाया जाता है? 

गणेश चतुर्थी का उत्सव भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग श्री गणेश की मूर्ति अपने घर में स्थापित करते हैं तथा विधि विधान से श्री गणेश जी की पूजा करते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र राज्य में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। इस उत्सव की तैयारी यहां कई दिनों पूर्व ही प्रारंभ हो जाती हैं। गणेश जी की मूर्तियां यहां बड़े पैमाने पर बनाई जाती हैं।

इन मूर्तियों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और कई विदेशी टूरिस्ट भी इस उत्सव में शामिल होने के लिए बड़े ही उत्साहित होते हैं और इस उत्सव में शामिल होते हैं। इस उत्सव पर सारा शहर एक नई उमंग और उल्लास में सराबोर दिखाई पड़ता है। जगह-जगह पर बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं तथा इन पंडालों में भगवान श्री गणेश की अत्यंत सुंदर मूर्तियां विराजमान होती हैं। इन पंडालों में मंत्रोच्चारण, हवन-पूजन, धार्मिक संगीत तथा धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता है। इस उत्सव में पूरे शहर में एक अलग ही रौनक दिखाई पड़ती है।

माना जाता है गणेश उत्सव की शुरुआत महाराष्ट्र की राजधानी पुणे से हुई थी। गणेश चतुर्थी उत्सव का आरंभ मराठा साम्राज्य से चला रहा है। मराठा साम्राज्य के वीर सम्राट छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी माता जीजाबाई जी ने मिलकर गणेश चतुर्थी के उत्सव का प्रारंभ किया था। इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य मुगल शासन से अपनी सनातन संस्कृति को बचाना था तथा लोगों को एकजुट एवं जागरूक करना था। इस उत्सव के दौरान धार्मिक अनुष्ठान किए जाते थे तथा ब्राह्मणों को भोज और दान-पुण्य की विधि की जाती थी।

मुगलों के शासन के पश्चात् जब ब्रिटिश शासन का भारत में आगमन हुआ तो ब्रिटिश शासन ने भारतीय पर्वों पर रोक लगा दी। वे नहीं चाहते थे कि लोग एकजुट हों तथा सरकार के विरुद्ध खड़े हो जाएं। ब्रिटिश शासन में 1890 के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक जी ने गणेश उत्सव सार्वजनिक रूप से मनाने का निश्चय किया, जिससे लोग एकजुट हो पाए तथा इस प्रकार महाराष्ट्र में गणेश उत्सव बड़े पैमाने पर मनाया जाने लगा।

बाल गंगाधर तिलक जी ने सार्वजनिक रूप से गणेश उत्सव का आयोजन सन् 1983 में किया था। इस उत्सव को सभी लोग धूमधाम से मानने लगे और लोग एकजुट होने लगे। इतनी बड़ी भीड़ को ब्रिटिश शासकों द्वारा रोक पाना बहुत कठिन था। इस तरह देखा जाए तो गणेश उत्सव का भी आजादी के आंदोलन में एक विशिष्ट महत्व था।

महाराष्ट्र में भगवान श्री गणेश के कुछ प्रसिद्ध मंदिर 

महाराष्ट्र में भगवान श्री गणेश के कई विश्व प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है, जहां गणेश उत्सव की बड़ी ही धूम रहती है। इनमें से कुछ मुख्य मंदिर इस प्रकार है – सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई; दशभुज मंदिर, पुणे; गणपतीपुले गणेश मंदिर, रत्नागिरी; सिद्धिविनायक महागणपति मंदिर, ठाणे; पदमालय गणेश मंदिर, जलगांव; श्री नवश्य गणपति मंदिर, नासिक; दगडूसेठ गणपति मंदिर, पुणे इत्यादि।

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