Famous Temples in Gujarat : गुजरात के 5 प्रसिद्ध मंदिर

गुजरात, भारत के पश्चिम में स्थित, धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां के मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ यात्रियों का आकर्षण भी बनते हैं। गुजरात के मंदिर मनोहारी स्थल हैं जहां भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव और परंपरा का अनुभव करने का मौका मिलता है। ये मंदिर गुजरात की समृद्ध धार्मिक विरासत का प्रतिनिधित्व करते हैं और हर वर्ग के व्यक्तियों के लिए ध्यान और शांति का एक अद्वितीय स्थान प्रस्तुत करते हैं।

Somnath Temple : सोमनाथ मंदिर

यह भी पढ़ें: काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़े 5 ऐसे अनजाने रहस्य जो आपको कर देंगे हैरान

सोमनाथ मंदिर भारतवर्ष के गुजरात राज्य के में वेरावल बंदरगाह के निकट स्थित है। यह प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर में पृथ्वी पर भगवान शिव के 12 प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग विद्यमान है, जिसे हम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से भगवान शिव का प्रथम ज्योतिर्लिंग है। सोमनाथ का अर्थ है- ‘चंद्रमा के ईश्वर’। यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है तथा इसका शिखर 150 फीट ऊंचा है। इसके शिखर पर लगभग 10 टन का भारी कलश रखा हुआ है, जो अपने आप में एक अद्भुत रचना है।

यह मंदिर केवल भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि विश्व प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। सोमनाथ मंदिर का इतिहास भी अनोखा है क्योंकि इतिहासकारों के अनुसार यह मंदिर लगभग 17 बार नष्ट किया गया और हर बार इसका पुनू निर्माण किया गया। वर्तमान समय में जो मंदिर की रचना है, उसे भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा बनवाया गया था।

Dwarkadhish Temple : द्वारकाधीश मंदिर

यह भी पढ़ें: अयोध्या राम मंदिर में आए अनोखे उपहार, जिन्हें देख आप होंगे आश्चर्यचकित

द्वारकाधीश मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित एक विश्व प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो भारतवर्ष के गुजरात के द्वारका शहर में स्थित है। माना जाता है की द्वारका नगरी श्री कृष्ण के द्वारा बसाई गई थी। द्वारका नगरी श्री कृष्ण की नगरी थी। भगवान श्री कृष्ण यहां पर शासन किया करते थे। यह नगरी देव शिल्पी विश्वकर्मा के द्वारा बनाई गई थी। द्वारकाधीश मंदिर की वास्तुकला सांस्कृतिक और कलात्मक प्रभावों को दर्शाती है। इस मंदिर की संरचना पांच मंजिला है और यह मंदिर 12 स्तंभों पर आधारित है। इस मंदिर के शिखर और मंदिर की जटिल नक्काशी तथा मूर्तियां मंदिर को अत्यंत ही सुंदर और अनुपम बनाती हैं।

मंदिर के अंदर मुख्य देवता भगवान श्री द्वारकाधीश जी त्रिभंग मुद्रा में खड़े हुए हैं। भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति काले रंग की है और गर्भ ग्रह को चांदी तथा सोने के आभूषणों से सजाया गया है। यहां पर प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक तथा श्रद्धालु समान रूप से आकर्षित होते हैं। यह मंदिर हिंदू धर्म में चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन पर, जिसे हम श्री कृष्ण जन्माष्टमी के त्यौहार के रूप में मनाते हैं, अत्यंत ही भीड़ होती है और यहां पर यह उत्सव पड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

Akshardham Mandir : अक्षरधाम मंदिर

यह भी पढ़ें: खाटू श्याम मंदिर : आखिर कैसे बने बाबा खाटू श्याम, ‘बर्बरीक से भगवान’ !

अक्षरधाम मंदिर गुजरात के गांधीनगर में स्थित है। यह मंदिर गुजरात का सबसे विशाल मंदिर है। इस मंदिर की संरचना एक राजसी जटिल नक्काशीदार संरचना है। यह मंदिर लगभग 23 एकड़ के क्षेत्रफल में पहला फैला हुआ है। इस मंदिर की चारों ओर विशाल बगीचे स्थित हैं। इस मंदिर के निर्माण में लगभग 6000 गुलाबी बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है। इस मंदिर की ऊंचाई 108 फीट, लंबाई 240 फीट और चौड़ाई लगभग 131 फिट है।

इसमें भगवान स्वामी नारायण की 7 फीट ऊंची प्रतिमा है, जिस पर सोने की परत चढ़ी हुई है। इस मंदिर को बनने में लगभग 13 वर्ष का समय लगा था और इसका उद्घाटन सन् 1992 में हुआ था। यह मंदिर बेहतरीन शिल्पकारी का एक जीता-जागता नमूना है तथा यह गुजरात के सबसे बड़े और प्रमुख मंदिरों में से एक है।

Sun Temple : सूर्य मंदिर

यह भी पढ़ें: Ram Mandir Murti : अद्भुत है रामलला के बाल स्वरूप की मूर्ति

यह सूर्य मंदिर गुजरात के मोधेरा शहर के पुष्पा नदी के तट पर स्थित है। सूर्य मंदिर भगवान सूर्य देव को समर्पित है। इस सूर्य मंदिर का निर्माण लगभग 11वीं शताब्दी में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव प्रथम के द्वारा किया गया था। इस मंदिर की संरचना तीन स्तरीय संरचना है, जिसमें सभा मंडप, को मंडप और कुंड शामिल हैं। इस मंदिर की वास्तुकला अत्यंत ही अद्भुत और सुंदर है। यह मंदिर खगोलीय सटीकता के साथ बनाया गया है।

मंदिर की खगोलीय सटीकता को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस समय के वास्तुकारों के पास खगोल विज्ञान का कितना गहन ज्ञान होगा। उगते सूर्य की पहली किरण के साथ ही गर्भ ग्रह में भगवान सूर्य की प्रतिमा पर प्रकाश डालते हैं। यह एक ऐसा दृश्य जो दुनिया भर के भक्तों तथा पर्यटकों को समान रूप से अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर ने भी कई प्राकृतिक आपदाएं का सामना किया है। यह मंदिर भारत की समृद्ध संस्कृति की झलक को दर्शाता है।

Rukmini Temple : रुक्मिणी मंदिर

यह भी पढ़ें: Rameshwaram Temple : भगवान शिव का एक अनूठा शिवलिंग

यह रुक्मिणी मंदिर देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जो द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण की अर्धांगिनी थीं। रुकमणी देवी को देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मंदिर के गर्भ ग्रह में रुक्मिणी देवी की चतुर्भुजी सुंदर प्रतिमा है, इसमें देवी रुक्मिणी शंख, चक्र, गदा और पदम धारण किए हुए हैं। मंदिर की संरचना अत्यंत ही सुंदर और अद्भुत है।

यह मंदिर बलुआ पत्थर से निर्मित है तथा इसकी शिखर पर विशाल ध्वज मंदिर की शोभा को बढ़ाता है। देवी रुक्मिणी का यह मंदिर शहर से दूरी पर स्थित है। इसके पीछे भी एक कथा बताई जाती है कि ऋषि दुर्वासा ने रुक्मिणी देवी को श्री कृष्ण से अलग होने का श्राप दिया था। इसी कारण देवी रुकमणी का मंदिर शहर से इतनी दूरी पर स्थित है।


Leave a Comment

Exit mobile version