Ganesh Ji : भगवान श्री गणेश के वे प्रसिद्ध मंदिर जो हैं विश्व विख्यात 

Ganesh ji

Ganesh ji : सनातन धर्म विश्व भर में अपनी संस्कृति के लिए पहचाना जाता है। सनातन धर्म की संस्कृति विश्व भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। सनातन धर्म की पवित्रता तथा वैभव सारे संसार को एक मार्गदर्शन प्रदान करता है। इस धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इन्हीं देवताओं में से एक मुख्य देवता भगवान श्री गणेश जी की भी पूजा की जाती है।

भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ काम या नए काम का आरंभ करने से पहले भगवान श्री गणेश का ध्यान किया जाता है। भगवान श्री गणेश का ध्यान करने से उसे शुभ कार्य में कोई भी विपत्ति या अड़चन पैदा नहीं होती है और वह कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हो जाता है। आज हम भगवान श्री गणेश के कुछ विश्व प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानेंगे जिसके वैभव तथा चमत्कार से पूरा विश्व आकर्षित होता है।

सिद्धिविनायक मंदिर, मुंबई

सिद्धिविनायक मंदिर भगवान श्री गणेश का एक विश्व विख्यात मंदिर है जो कि भारत की आर्थिक नगरी मुंबई में स्थित है। सिद्घिविनायक मंदिर में लोग विश्व भर से भगवान श्री गणेश जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां पर अत्यंत ही धूमधाम से उत्सव का आयोजन किया जाता है।

सिद्धिविनायक मंदिर में विराजमान भगवान श्री गणेश जी का यह स्वरूप सबसे लोकप्रिय है। यह मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। मन्दिर में विराजमान सिद्धिविनायक जी का स्वरूप चतुर्भुजी है, उनके दाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश एवं दाहिने तरफ नीचे के हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक से भरा पात्र है। धन और ऐश्वर्य के प्रतीक भगवान श्री गणपति जी के साथ उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि उनके दोनों ओर विराजमान हैं, जो कि सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वालीं हैं।

सिद्धिविनायक जी के तेजमय ललाट पर उनके पिता भगवान शिव के समान तीसरा नेत्र भी है, उनके गले में हार के समान एक सर्प लिपटा हुआ है। सिद्धिविनायक का यह स्वरूप ढाई फीट ऊंचा एवं दो फीट चौड़ा है और सबसे अद्भुत बात यह है कि यह स्वरूप एक ही काले शिलाखंड से बना हुआ है। भगवान श्री सिद्धिविनायक बड़े ही कृपालु एवं दयालु हैं तथा अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। यहां सभी भक्त श्रद्धा-भाव से भगवान श्री सिद्धिविनायक के दर्शन के लिए आते हैं।

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चिंतामन गणपति, उज्जैन

उज्जैन नगर को बाबा महाकाल की नगरी कहा जाता है। यहां भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग विराजमान है, जिन्हें महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है। उज्जैन में ही महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में भगवान श्री गणेश जी का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर को चिंतामण गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान श्री गणेश की तीन मूर्तियां विराजमान हैं। माना जाता है कि गणेश जी की ये मूर्तियां स्वयंभू हैं। स्वयंभू का तात्पर्य होता है कि ‘स्वयं से प्रकट होना’।

मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री गणेशजी की तीन मूर्तियां दिखाई देती हैं; पहली चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरी सिद्धिविनायक के नाम से जानी जाती है। मान्यता के अनुसार ‘चिंतामण’ भक्तों को चिंताओं से मुक्ति प्रदान करते हैं, ‘इच्छामन’ अपने भक्तों की कामनाएं पूर्ण करते हैं जबकि ‘सिद्धिविनायक’ स्वरूप भक्तों को सिद्धि प्रदान करते हैं। चिंतामन गणेश मंदिर के शिखर पर सिंह विराजमान है। वर्तमान मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था।

मधुर महागणपति मंदिर, केरल

भगवान श्री गणेश का यह मंदिर अत्यंत ही प्राचीन मंदिर है यह मंदिर केरल राज्य में मौजूद है। मधुर महागणपति जी का मंदिर मधुवाहिनी नदी के तट पर बना हुआ है। इस मंदिर में विद्यमान भगवान श्री गणेश जी की मूर्ति न ही मिट्टी की बनी है और न ही किसी पत्‍थर की। इस मंदिर के बारे में एक अत्यंत रोचक कथा है कि पहले ये मंदिर भगवान शिव का हुआ करता था, लेकिन कथा के अनुसार पुजारी के बेटे ने यहां भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। पुजारी का ये बेटा एक छोटा बालक था।

कहा जाता है कि एक बार बालक ने खेलते-खेलते मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर भगवान श्री गणेश की प्रतिमा बनाई और यह प्रतिमा धीरे-धीरे आकार में बढ़ने लगी। वह हर दिन बड़ी और मोटी हो जाती थी। तत्पश्चात से ये मंदिर भगवान श्री गणेश का बेहद खास मंदिर हो गया।

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