Diwali Puja Vidhi in Hindi: इस तरह पूजा करने से प्रसन्न होगी माँ लक्ष्मी 

Diwali Puja Vidhi in Hindi: दीपावली हिंदू संस्कृति में मनाया जाने वाला एक पवित्र त्यौहार है। यह त्यौहार हिंदू धर्म में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे हम दीपों का त्यौहार भी कहते हैं। दीपावली को दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय संस्कृति में मनाए जाने वाला यह एक प्रमुख त्यौहार है। इस दिन तेल के दीए जलाए जाते हैं। लोग अपने घरों को रंगीन झालरों व सुंदर-सुंदर मोमबत्तियां से सजाते हैं। यह एक प्रकाश का त्यौहार है जो अंधकारमय बुराइयों को तथा नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

यह न केवल दीपों का त्योहार है, बल्कि यह समृद्धि, खुशी और परिवार के एकता का प्रतीक भी है। दीपावली का पूजन बड़े विधि विधान से किया जाता है। आइए जानते हैं दीपावली पूजन की विधि –

दीपावली पूजन की तैयारी

दीपावली के त्यौहार पर पूजन के मुहूर्त से पहले पूजन विधि से संबंधित सभी सामग्री एकत्रित व सजा कर रख लें, जिससे पूजन के समय कोई भी पूजन सामग्री व विधि आपसे छूट न जाए।

पूजा के स्थान की सफाई: 

अपने घर के मंदिर को अच्छी तरह से साफ करने उसे सजा लें तथा शाम को दीपावली की पूजन से संबंधित स्थान को भी अच्छी तरह से साफ कर लें वह रंगोली आदि से सजा लें।

पूजन सामग्री: 

दीपावली पूजन से संबंधित सामग्री कुछ इस प्रकार है –

  • मिट्टी के दीपक (विषम संख्या में बड़ा दीपक सहित)
  • कुमकुम 
  • रोली 
  • चावल 
  • हल्दी
  • चंदन
  • सुपारी
  • रुई व रुई की बाती 
  • अगरबत्ती
  • धूपबत्ती 
  • दही
  • गंगाजल
  • शहद
  • गेहूँ, जौ
  • नैवेद्य, मिष्ठान आदि 
  • फल
  • लाल व पीले फूल व फूलों की माला
  • दूर्वा
  • कमलगट्टे की माला
  • बंदनवारी 
  • लाल वस्त्र
  • पीला वस्त्र
  • चौकी
  • खील, बताशे, खिलौना
  • कलश
  • शंख
  • चांदी का सिक्का अथवा धन व धन स्वरूप अन्य वस्तु
  • आसन 
  • लक्ष्मी माता और गणेश जी की मूर्तियाँ
  • झाड़ू

दीपावली पूजन से पूर्व स्नान आदि कर लें। नए व स्वच्छ वस्त्र पहने जो पूजन की पवित्रता व गरिमा को बढ़ाता है। पूजन करने से पहले पूजा के स्थान पर गंगाजल छिड़कें। पूजन के स्थान पर एक चौकी बिछाएं व चौकी पर भी थोड़ा गंगाजल छिड़कें।

चौकी पर लक्ष्मी माता के लिए लाल वस्त्र व श्री गणेश जी के लिए पीले वस्त्र का आसान बिछाएं । लाल वस्त्र के आसन पर माता लक्ष्मी की मूर्ति तथा पीले वस्त्र के आसन पर श्री गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करें। गणेश जी की मूर्ति माता लक्ष्मी की मूर्ति के बाई तरफ रखें।

माना जाता है कि बिना विष्णु भगवान के माता लक्ष्मी की पूजा संपूर्ण नहीं होती है इसलिए भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को माता लक्ष्मी की मूर्ति के बाएं तरफ रखें। इन मूर्तियों के साथ कुबेर जी महाराज की मूर्ति अथवा चित्र भी रखें। चौकी पर लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति स्थापित करें। यदि संभव हो तो नई मिट्टी की मूर्ति स्थापित करें और गणेश जी के दाहिनी तरफ माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।

अब बड़े दीपक में सरसों का तेल भरें और उसमें रुई की बाती रखें। इसके पश्चात कम से कम 5 या 7 घी के दिए रखें और उसके बाद सरसों के तेल के दिए रखें। दीपकों की कुल संख्या विषम होनी चाहिए। तत्पश्चात दीपकों को दाएं से बाएं क्रम में प्रज्वलित करें। अब दीप मंत्र का पाठ करें 

 “दीपज्योतिः परब्रह्म दीपज्योतिर्जनार्दनः। दीपो हरतु मे पापं दीपज्योतिर्नमोऽस्तु ते।।” 

भगवान श्री गणेश जी को तिलक लगाए और उन्हें दूर्वा की माला पहनाएं। हाथ में पीले फूल व अक्षत लेकर गणेश जी का ध्यान करें और उनके बीज मंत्र – “ऊँ गं गणपतये नम:” का जाप करें। सर्वप्रथम आपको गणेश जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। भगवान गणेश जी का पूजन से पहले इस मंत्र को पढ़ें –

“गजाननम् भूत भू गणादि सेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपाद पंकजम्।”

मंत्रों के जाप के पश्चात भगवान श्री गणेश जी को मोदक तथा बूंदी के लड्डू का भोग अर्पित करें।

अब माता लक्ष्मी को लाल सिंदूर का तिलक लगाएं तथा हाथ में लाल पुष्प व अक्षत लेकर मां लक्ष्मी के श्री मंत्र का जाप करें।

“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः।।”

अब भगवान श्री कुबेर जी की पूजा करें वह उनके मंत्र का जाप करें।

“ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥”

अब सभी देवताओं को फल, नैवेद्य, खील, बताशे, खिलौना, मिष्ठान आदि का भोग अर्पित करें। तत्पश्चात भगवान श्री गणेश, माता लक्ष्मी, भगवान श्री विष्णु, कुबेर जी महाराज आदि की आरती व पूजन करें। इसके पश्चात अपने परिवार के साथ मिलकर भगवान श्री गणेश तथा माता लक्ष्मी का जयकारा लगाएं और भगवान से अपने कष्टों को दूर करने की कामना करें तथा सुख संपदा व समृद्धि के लिए प्रार्थना करें। इसके पश्चात्  पारिवारिजनों में प्रसाद का वितरण करें व दीपकों को घर के भिन्न-भिन्न स्थानों पर रखें। इसके बाद भगवान के चरणों में शीश नवाएं व बड़े जनों का आशीर्वाद प्राप्त करें। 


Leave a Comment