Best Holi Celebration in India : मथुरा के वे प्रसिद्ध मंदिर, जहां होली का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है

Best Holi Celebration in India – भारत में होली का त्यौहार चारों दिशाओं में रंगो तथा खुशियों की बौछार लेकर आता है। यह होली का त्यौहार पूरे भारतवर्ष में बड़े ही हर्षोल्लास तथा धूमधाम से मनाया जाने वाला त्यौहार है। इस त्यौहार को केवल भारतीय ही नहीं विदेशी भी बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं तथा यहां के मंदिरों में होने वाले होली के उत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी तादाद में प्रतिवर्ष आते हैं।

भारत में विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन यह होली का त्यौहार एक अलग ही रौनक तथा खुशियों में सराबोर पलों को लेकर आता है, जिसका सभी लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। भारत में होली का त्योहार कई मंदिरों में विशेष रूप से मनाया जाता है। होली का यह त्यौहार भगवान श्री कृष्णा, राधा तथा उनकी गोपियों के बीच मनाए जाने के कारण अत्यंत प्रसिद्ध है अर्थात् भगवान श्री कृष्णा तथा राधा रानी के प्रसिद्ध मंदिरों में यह त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

इन मंदिरों में से भगवान श्री कृष्ण के ज्यादातर प्रसिद्ध मंदिर भारतवर्ष की उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले में स्थित है। यहां होली का उत्सव 40 दिनों तक चलता है। बसंत पंचमी के अवसर से यह उत्सव शुरू हो जाता है ।यहां के प्रमुख स्थान जैसे- मथुरा, बरसाना, वृंदावन आदि जगहों पर स्थित मंदिरों में होली का आयोजन होता है। आज हम उन्हीं प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानेंगे जहां की होली सबसे खास होती है। यह कुछ मंदिर निम्न हैं –

द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा

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भगवान श्री कृष्णा तथा राधारानी को समर्पित यह द्वारकाधीश मंदिर मथुरा में यमुना नदी के किनारे विश्राम घाट के समीप स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्णा तथा राधा जी की मूर्ति मौजूद है औरअन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां भी मौजूद हैं। इस मंदिर की चित्रकारी, कलाकारी तथा नक्काशी प्रत्येक भक्त को अपनी ओर आकर्षित करती है।

यहां होली का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें देश के विभिन्न कोनों से आए हुए तथा विदेशों से आए हुए भक्त भी शामिल होते हैं। मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के दर्शन के पश्चात् संगीत के साथ ही होली का उत्सव आरंभ हो जाता है। यहां मनाए जाने वाली होली को ‘रंगों का दंगा’ भी कहा जाता है। यहां 7 दिन तक लगातार प्रतिदिन होली मनाई जाती है। विशेष रूप से भांग का एक पेय पदार्थ तैयार किया जाता है, जिसे लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। यहां पर लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं तथा संगीत में झूम कर नाचते हैं। यहां का होली का उत्सव देखने लायक होता है।

बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन

बांके बिहारी मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के वृंदावन शहर में स्थित है। यहां की होली अत्यंत ही मशहूर है। बांके बिहारी मंदिर में विदेश से भी कई भक्तगण बड़ी संख्या में इस मंदिर में होली के उत्सव में शामिल होने के लिए आते हैं। बांके बिहारी मंदिर में मनाए जाने वाली होली अत्यंत ही मनमोहक तथा आकर्षक है। यहां की होली में जो कोई भी एक बार शामिल हो जाता है तो वह अपने संपूर्ण जीवन भर इस क्षण को नहीं बुला सकता। बांके बिहारी मंदिर में भगवान श्री कृष्णा तथा राधा रानी के मिली-जुली स्वरूप की एक मूर्ति है, जिसकी मान्यता है कि यह मूर्ति स्वयं ही प्रकट हुई थी।

होली का उत्सव प्रारंभ करने से पहले भगवान श्री कृष्ण को सफेद वस्त्र पहने जाते हैं और अच्छे से उनका श्रृंगार किया जाता है। पुजारी पूजा करने के पश्चात् भगवान पर केसर के फूलों से बने रंग की पिचकारी मार कर भगवान श्री कृष्णा के वस्त्र रंग देते हैं और उसके पश्चात् पूरे मंदिर के प्रांगण में लोग फूलों तथा रंगों से होली खेलते हैं। पूरे प्रांगण में रंगों की बौछार शुरू हो जाती है तथा आसपास की गलियां में फूलों तथा रंगों का हुड़दंग चालू हो जाता है। इस मंदिर में मनाए जाने वाली होली सभी के लिए एक यादगार होली होती है।

श्री राधारानी मंदिर, बरसाना

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श्री राधा रानी मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के बरसाना में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। इस मंदिर के प्रमुख देवता राधा कृष्ण जी हैं। राधा रानी मंदिर की होली जगविख्यात है क्योंकि यहां राधा कृष्ण के प्रेम के प्रतीक में विशेष प्रकार से होली का त्यौहार मनाया जाता है, जिसे लठ्ठमार होली के नाम से जानते हैं। इस होली का आनंद लेने के लिए देश-विदेश से अनन्य भक्त लोग शामिल होने के लिए आते हैं।

यह होली फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन महिलाएं गोपियां बनकर नंदगांव से आए हुए पुरुषों पर लाठियां बरसती हैं तथा पुरुष अपनी ढाल से उनके प्रहारों से बचते हैं। यह होली श्री कृष्ण, राधा तथा गोपियों के बीच मनाए जाने वाली होली से प्रेरित है, जिसमें श्री कृष्णा तथा उनके सखाओं द्वारा, राधा तथा सखियों को रंग लगाए तथा छेड़े जाने पर राधा और उनकी सखियां, कृष्ण तथा उनके सखाओं को लाठी डंडों से पीट कर भागती हैं और कृष्णा तथा उनके सखा अपने आप को ढालों के द्वारा बचाते हैं। यह प्रथा आज भी बड़े धूमधाम से बरसाने में मनाई जाती है तथा यह एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

नंदगांव

नंदगांव, यह शहर भी बरसाने के नजदीकी ही स्थित है और यहां भी प्रसिद्ध लट्ठमार होली का आयोजन होता है। यह आयोजन बरसाने में खेले जाने वाली होली के अगले दिन होता है। यह मनायी जाने वाली लठ्ठमार होली भी भगवान श्री कृष्णा तथा राधा से जुड़ी हुई है। यहां मनाए जाने वाली लठ्ठमार होली बरसाने में मनाई जाने वाली लट्ठमार होली के अगले दिन ही क्यों मनाई जाती है?

मान्यता है कि बरसाने में लठ्ठमार होली खेलने के बाद राधा और उनकी सखियों की लाठियों से बचने के लिए, बिना ही होली का नेग दिए नंदगांव के लोग वापस लौट आए थे। इस बात पर बरसाने की गोपियों ने लोगों को इकट्ठा किया तथा अगले दिन होली का नेग लेने के बहाने नंदगांव पहुंच गए और यहां पहुंचकर उन्होंने फिर से लठ्ठमार होली खेली। बस इसी लीला को जीवंत बनाए रखने के लिए आज भी प्रतिवर्ष नंदगांव में लठ्ठमार होली का आयोजन भव्य रूप से किया जाता है तथा यह लठ्ठमार होली भी देखने लायक होती है। यहां का वातावरण होली के रंगों में सराबोर होता है तथा किसी भी मनुष्य को मंत्र मुग्ध कर देता है।

श्री राधावल्लभ मंदिर, वृंदावन

श्री राधाबल्लभ मंदिर भी मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित है। यहां पर भी भक्तगण होली का उत्सव मनाने के लिए आते हैं। यहां सभी वक्त अपनी आराध्य के संग होली मना कर अपने आप को सौभाग्यशाली समझते हैं। यहां की होली पर भी सभी भक्त झूम उठते हैं। यहां मंदिर में राधा वल्लभ जी को प्रसाद के रूप में गुलाल अर्पण किया जाता है और इसके पश्चात् वही गुलाल भक्तों के ऊपर उड़ाया जाता है जिससे भक्त बहुत ही आनन्दित होते हैं तथा स्वयं को भाग्यशाली मानते हैं। यहां मंदिर में संगीत का आयोजन भी होता है। भक्तगण संगीतों का आनंद लेते हुए नृत्य करते हैं तथा होली का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।


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