अयोध्या राम मंदिर: जानिए 5 मंडपों के अतिरिक्त कैसी है राम मंदिर की बनावट ?

ram mandir ayodhgya

अयोध्या राम मंदिर: अयोध्या को भगवान श्रीराम की जन्म भूमि कहा जाता है। अयोध्या में इस समय भगवान राम की मूर्ति की स्थापना की तैयारी जोरों शोरों पर है। श्रीराम की मूर्ति की स्थापना के लिए अयोध्या में भव्य मंदिर और मंदिर परिसर का निर्माण हुआ है। मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त और भी मंदिर बनाए गए हैं। मंदिर परिसर में पांच मंडप भी स्थित हैं। आईए मंदिर और मंदिर परिसर के बारे में विस्तार पूर्वक जाने…

अयोध्या राम मंदिर

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अयोध्या भगवान श्रीराम की नगरी के नाम से विश्व भर में पहचानी जाती है। मुगलों द्वारा मंदिरों पर आक्रमण और लूटपाट के पश्चात् लगभग 500 सालों के बाद अयोध्या राम मंदिर में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को होने जा रही है। करीब 500 सालों के पश्चात् रामलला अपने सिंहासन पर विराजमान होंगे। मुगलों के श्रीराम जन्मभूमि पर मस्जिद बनाने के बाद से रामलला की पूजा-आरती एक चबूतरे पर की जा रही थी।

इतने वर्षों के पश्चात् राम मंदिर और बाबरी मस्जिद पर अंतिम फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नवंबर, 2019 को रामलला के पक्ष में सुनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सन् 2020 में भारत सरकार ने राम मंदिर के निर्माण को लेकर मंजूरी दी। अब भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के पश्चात् रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूरा भारतवर्ष उमंग और उल्लास से भरा हुआ है। राम जी की नगरी अयोध्या की साज- सजावट देखने लायक है।

भगवान श्री राम के आगमन के लिए पूरी अयोध्या को फूलों से सजाया जा रहा है। प्रभु श्रीराम जी की प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव पर कई बड़ी-बड़ी हस्तियों को आमंत्रण भी दिया गया है। इस उत्सव पर देश-विदेश से लाखों लोग आने वाले हैं। यह दिन भारतवर्ष के लोगों के लिए काफी खास होने वाला है।

राम मंदिर की बनावट

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अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है। इस मंदिर को बनाने में प्राचीन वास्तुकला का प्रयोग किया गया है जो पूर्व में मंदिरों को खास और भव्य बनाती थी। श्री राम का यह भव्य मंदिर इस परम्परागत नागर शैली में बनाया गया है। मंदिर की बनावट में कई विशेषताएं हैं। राम मंदिर की नींव अगस्त 2020 में रखी गई थी। अयोध्या का राम मंदिर कई एकड़ भूमि में बना हुआ है। राम मंदिर की वास्तुकला हिंदू धर्म और संस्कृति की परंपराओं को व्यक्त करती है। इस मंदिर में भगवान श्रीराम का विशाल गर्भ ग्रह होगा।

मुख्य मंदिर की लंबाई पूर्व से पश्चिम की ओर लगभग 360 फीट, चौड़ाई 235 फीट और शिखर सहित ऊंचाई 161 फीट होगी। इस मंदिर को तीन मंजिला बनाया गया है और प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट है। मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 दरवाजे हैं। मंदिर के भूतल पर भगवान श्रीराम का विशाल गर्भ ग्रह होगा जिसमें प्रभु श्रीराम के बाल रूप श्रीरामलला को स्थापित किया जाएगा और इस गर्भ ग्रह में एक विशाल शिवलिंग भी होगा। इस विशाल गर्भ ग्रह को प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान के रूप में जाना जाता है।

मंदिर के प्रथम तल के गर्भ ग्रह में प्रभु श्रीराम का दरबार होगा जिसमें प्रभु श्रीराम के साथ माता सीता, श्रीराम जी के भ्राता श्री लक्ष्मण और प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त प्रभु श्री हनुमान जी स्थापित होंगे। मंदिर में कुल 5 मंडप मौजूद होंगे जिनमें नृत्य मंडप, रंग मंडप, गूढ़ मंडप(सभा मंडप) प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप हैं। मुख्य मंदिर में 12 खंभे होंगे जिन्हें खास पत्थरों द्वारा बनाया गया है और मंदिर परिसर में कुल 392 खंभे होंगे। इन खंभों और दीवारों पर देवी देवताओं एवं देवांगनाओं की मूर्तियों उकेरी गई हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्व से होगा। पूर्व में प्रवेश करने पर आपको 32 सीढ़ियां और सिंह द्वार मिलेगा। इन सीढ़िओं की कुल ऊंचाई 16.5 फीट होगी।

श्रीराम जन्मभूमि परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त और भी प्रस्तावित मंदिर पाए जाएंगे। ये मंदिर महाकाव्य रामायण रचित महर्षि वाल्मीकि, प्रभु श्रीराम के गुरु महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, श्रीराम के मित्र निषादराज गुह, श्रीराम की भक्त माता शबरी और महर्षि गौतम की पत्नी जिन्हें प्रभु श्री राम ने अपनी चरण स्पर्श से पत्थर की मूर्ति के श्राप से मुक्त किया था, का मंदिर भी बना है।

मंदिर परिसर चारों ओर से बड़ी आयताकार प्राचीरों से घिरा हुआ है। इन प्राचीरों की लंबाई 732 मीटर, चौड़ाई 4.25 मीटर है। इन आयताकार प्राचीरों के चारों कोनों पर चार मंदिर बने हुए हैं। ये मंदिर भगवान सूर्य, भगवान शंकर, माता भगवती एवं श्री गणेश जी के हैं। इन आयताकार प्राचीर की दक्षिणी भुजा में भगवान हनुमान जी का मंदिर और उत्तरी भुजा में माता अन्नपूर्णा का मंदिर बना हुआ है। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीता कूप भी है। मंदिर के दक्षिण-पश्चिम भाग में नवरत्न कुबेर जी के टीले पर स्थित शिव मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ-साथ राम भक्त जटायु राज की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।

राम मंदिर एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत

राम मंदिर का निर्माण भारतवर्ष के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है जो भारतीय लोगों के लिए उनकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा से जुड़ा हुआ है। राम मंदिर न केवल एक मंदिर या ढांचा है बल्कि लोगों व समाज के लिए एक धार्मिक संरचना व सामूहिक संकल्प है, जो हमारी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखने व आध्यात्मिकता की दिशा में प्रेरित करती है।

राम मंदिर के निर्माण से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मदद मिलती है और इससे स्थानीय विकास में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है अयोध्या राम मंदिर की बनावट एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह एक भौतिक संरचना ही नहीं है बल्कि भारतीय लोगों के सहज भाव से जुड़े दृढ़ विश्वास का प्रतीक है।

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